संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर एक प्रस्ताव को लेकर भारत-रूस और चीन एक साथ अमेरिका के खिलाफ हो गए हैं. इससे अमेरिका अलग-थलग पड़ गया. रूस ने जलवायु परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा (Global Security) के लिए खतरा बताने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अपनी तरह के पहले प्रस्ताव के खिलाफ सोमवार को वीटो (Veto Power) का इस्तेमाल किया. आयरलैंड और नाइजर के नेतृत्व में पेश किए गए प्रस्ताव ने ‘जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा प्रभावों संबंधी जानकारी शामिल करने’ का आह्वान किया था, ताकि परिषद ‘संघर्ष या जोखिम बढ़ाने वाले कारकों के मूल कारणों पर पर्याप्त ध्यान दे सके.’ वहीं, भारत-चीन भी इसके विरोध में खड़ा हुआ.
इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र महासचिव से जलवायु संबंधी सुरक्षा जोखिमों को संघर्ष निवारण रणनीतियों का ‘एक केंद्रीय घटक’ बनाने के लिए भी कहा गया है. परिषद के पूर्व प्रस्तावों में विभिन्न अफ्रीकी देशों (African Countries) और इराक जैसे विशिष्ट स्थानों में जलवायु परिवर्तन के अस्थिर करने वाले प्रभावों का उल्लेख किया गया है, लेकिन सोमवार का प्रस्ताव पहला ऐसा प्रस्ताव है, जिसमें जलवायु संबंधी सुरक्षा खतरों को स्वयं एक मुद्दा बनाया गया है.
भारत ने क्या कहा?
भारत ने यूएनएससी के एक मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया है. इस प्रस्ताव के जरिए जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी कदमों को ‘सुरक्षित’ करने और ग्लासगो में कड़ी मेहनत से किए गए सहमति समझौतों को कमजोर करने की कोशिश की गई है. जिसके चलते भारत ने इसके खिलाफ वोट दिया. इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस त्रिमूर्ति (TS Tirumurti) ने दी है. इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर कितना सजग है और विकासशील देशों के लिए इसे पूरी तरह खत्म करना कितना मुश्किल है.
‘सही जगह पर आवाज उठाएंगे’
त्रिमूर्ति ने कहा कि, ‘हम अफ्रीका और साहेल क्षेत्र सहित विकासशील देशों के हितों के लिए हमेशा आवाज उठाएंगे. और हम इसे सही जगह पर यूएनएफसीसीसी में करेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि विकसित देशों को जल्द से जल्द 1 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर का जलवायु वित्त प्रदान करना चाहिए. यह आवश्यक है कि जलवायु वित्त को उसी तरह ट्रैक किया जाए, जिस तरह ग्रीनहाउस के उत्सर्जन को किया जाता है.
113 देशों ने समर्थन किया
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से करीब 113 देशों ने इसका समर्थन किया, जिनमें से सुरक्षा परिषद के 15 में से 12 देश शामिल थे. भारत ने इसके खिलाफ मतदान किया और वीटो अधिकार प्राप्त रूस ने इसे वीटो किया और चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया. रूस और भारत के दूतों ने कहा कि यह मुद्दा जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन जैसे संयुक्त राष्ट्र समूहों के साथ रहना चाहिए. कहा गया कि सुरक्षा परिषद के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन को जोड़ने से केवल वैश्विक विभाजन और गहरा होगा, जो पिछले महीने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जलवायु वार्ता द्वारा इंगित किया गया था.