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कैसे PM मोदी के ‘हर घर दस्तक’ कैम्पेन से देश के सबसे पिछड़े नूंह जिले में हो रहा वैक्सीनेशन

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कोविड-19 वैक्सीन बांझपन का कारण बनते हैं, यह जनसंख्या को कम करने का एक एजेंडा है, टीके मौत की ओर ले जाते हैं”… ऐसी ही कई गलतफहमियों में कुछ का सामना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर-घर टीकाकरण अभियान को हरियाणा के नूंह जिले में करना पड़ रहा है, इसके बावजूद भारत के सबसे पिछड़े जिले में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम चलाने के मद्देनजर यह अभियान आक्रामक रूप से जारी है.

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि ‘हर घर दस्तक’ अभियान नवंबर में शुरू होने के बाद से कोविड-19 की पहली खुराक के कवरेज को 5.9% तक बढ़ाने में सक्षम रहा है, जबकि भारत में दूसरी खुराक कवरेज में 11.7% की वृद्धि हुई है.

“जान है तो जहान है” (यदि आप जीवित और स्वस्थ हैं, तो आपके पास सब कुछ है), जनता के लिए आशा कार्यकर्ताओं का मुख्य संदेश है क्योंकि वे घर-घर जाकर लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन डोज लेने के लिए तैयार करती हैं. लाल सूट पहने ये कार्यकर्ता कई बार लोगों को सलाह देते हैं और अंतिम खुराक मिलने तक उनके घर जाते हैं. आखिरकार अब उन्हें इसका फल मिलना शुरू हो गया है. जबकि राजस्थान का दावा है कि योजना के शुरू होने के बाद से वैक्सीन कवरेज में 8 से 10% की वृद्धि हुई है. वहीं, हरियाणा का कहना है कि कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से इसकी संख्या में 8% की वृद्धि हुई है.

कैसे ‘हर घर दस्तक’ अभियान ने वैक्सीन कवरेज में मदद की है
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हरियाणा के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ वीरेंद्र अहलावत के अनुसार, “दूसरी खुराक लेने के लिए लोगों को काफी मनाना पड़ रहा है. इससे पहले, हमारी दूसरी खुराक कवरेज 60% थी, यह हाल ही में 80% तक बढ़ गया है.”

इसके लिए अधिकारी ने कहा, “सबसे कठिन जिलों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा की गई पहल के लिए धन्यवाद.” उन्होंने यह भी कहा कि अभियान की वजह से उन लोगों को चिन्हित करने में आसानी हुई जो लापरवाही या समय की अनुपलब्धता के कारण दूसरी खुराक में देरी कर रहे थे. उन्होंने समझाते हुए कहा कि डोर-टू-डोर अभियान ने उन लोगों की भी मदद की है जो टीकाकरण केंद्रों तक जाने के लिए दूसरों पर निर्भर थे या जो अपनी दूसरी खुराक लेना भूल गए थे.

भारत के 101 सबसे पिछड़े जिलों में सबसे निचले स्थान नूंह
जबकि टीकाकरण कवरेज तेजी से बढ़ रहा है, राज्य के आंकड़ों से पता चलता है कि पलवल और जींद के बाद नूंह राज्य का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला जिला है. नीति आयोग के भारत के 101 सबसे पिछड़े जिलों में सबसे निचले स्थान पर काबिज नूंह में 5 नवंबर तक लक्षित 10 लाख आबादी के लगभग 35% को पहली खुराक के साथ टीका लगाया गया है, जबकि 7.9% को दो खुराक दी गई है.