कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Infection) के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र सरकार ने लोगों को बूस्टर डोज लेने की अनुमति दे दी है. लेकिन इसके लिए कोविड वैक्सीन के दूसरी खुराक और बूस्टर डोज के बीच 9 महीने का अंतर रखने की सीमा तय की है. हालांकि हेल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि प्रिकॉशनरी डोज के लिए यह अंतर 6 महीने का होना चाहिए, इससे संक्रमण के खिलाफ बेहतर इम्युनिटी मिलेगी.
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, नेशनल टास्क फोर्स ऑन कोरोनावायरस और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ राजीव जयादेवन ने बताया कि, वैक्सीन के दूसरे डोज और बूस्टर डोज के बीच लंबी अवधि के अंतराल से संक्रमण और बीमारी की गंभीरता से लड़ने में कमी आती है.
डॉ राजीव जयादेवन ने अपनी स्टडी का हवाला देते हुए कहा कि, अगर कोई व्यक्ति कोरोना वैक्सीन की सेकंड डोज लेने के 6 महीने बाद बूस्टर डोज लेता है तो वायरस के संक्रमण और उसकी गंभीरता से जुड़े मामलों में कमी आ जाती है. वहीं उन्होंने वैक्सीन के अतिरिक्त कोविड-19 के अन्य सुरक्षा उपायों पर जोर देते हुए कहा कि, इस महामारी से बचाव के लिए कई प्रकार के सुरक्षा विकल्प मौजूद हैं. इनमें वैक्सीनेशन, मास्क का इस्तेमाल और कोविड अनुरुप व्यवहार शामिल है. इसलिए कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए हमें इन उपायों को अपनाना चाहिए.
डॉ राजीव जयादेवन के अनुसार, जो लोग वैक्सीन के साथ-साथ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन कर रहे हैं, उन लोगों के संक्रमित होने की संभावना बेहद कम है. वहीं देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि कोविड-19 संक्रमण के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि लोगों को यह लग रहा है कि ये महामारी खत्म हो चुकी है. दुर्भाग्यवश यह गलत है वायरस अब भी हमारे बीच मौजूद है.
इससे पहले बेंगलुरु स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के निदेशक, डॉ राकेश मिश्रा ने भी कहा था कि, वैक्सीन की दूसरी डोज और बूस्टर डोज के बीच गैप को 9 महीने से घटाकर 5-6 महीने कर देना चाहिए. क्योंकि यह एक अच्छा फैसला होगा. मेरा मानना है कि प्रिकॉशनरी डोज 9 महीने से पहले मिलना चाहिए.