भारत ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य महासभा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की उस रिपोर्ट पर निराशा और चिंता व्यक्त की, जिसमें सभी कारणों से देश में कोरोना मृत्यु दर अधिक बताई गई थी. भारत ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में वैधानिक संस्था द्वारा प्रकाशित सही आंकड़ों को शामिल नहीं किया. विश्व स्वास्थ्य महासभा में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने ‘केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद’ की ओर से निराशा व्यक्त की.
यह परिषद, भारत के हर राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है और इसने डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित अत्यधिक मृत्यु की रिपोर्ट के संबंध में एकमत से प्रस्ताव पारित किया था. डब्ल्यूएचओ ने 5 मई को जारी एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया था कि दुनियाभर में पिछले 2 साल में कोरोना वायरस या स्वास्थ्य प्रणालियों पर इसके असर के कारण करीब 1.5 करोड़ लोग मारे गए हैं और यह संख्या 60 लाख लोगों की मौत के आधिकारिक आंकड़े से दोगुनी से ज्यादा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोविड-19 से 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो आधिकारिक आंकड़े से 10 गुना अधिक है तथा दुनियाभर में कोविड से मौत के मामलों का लगभग एक तिहाई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने विश्व स्वास्थ्य महासभा में कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं की अनदेखी करते हुए डब्ल्यूएचओ ने कोविड से अधिक मौतों की रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित की.
उन्होंने कहा कि भारत के पद्धति और डेटा के स्रोतों पर वैधानिक प्राधिकरण के विशिष्ट प्रामाणिक डेटा को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया. मनसुख मंडाविया ने विश्व स्वास्थ्य सभा में कहा कि भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संवैधानिक संस्था केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर मुझे इस संबंध में अपनी सामूहिक निराशा और चिंता व्यक्त करने के लिए कहा. आपको बता दें कि भारत में कोरोना से हुई मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 5.2 लाख है.
भारत ने 5 मई को डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई थी. भारत ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा की कार्यप्रणाली संग्रह संदिग्ध हैं, और अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से ध्यान दिए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है.