वंदे भारत एक्सप्रेस एक बार फिर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. गुजरात में वलसाड के उदवाड़ा में यह घटना हुई. यहां ट्रैक पर अचानक गाय आ गई और ट्रेन से टकरा गई. इसके बाद वंदे भारत एक्सप्रेस का आगे का हिस्सा क्षतिगस्त हो गया.
इसके बाद ट्रेन 15-20 मिनट तक खड़ी रही. इसके बाद संजन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को ठीक किया गया और मुंबई के लिए रवाना की गई.
वंदे भारत एक्सप्रेस गुरुवार को गांधीनगर से मुंबई जा रही थी. ट्रेन उदवाड़ा रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी, तभी यहां एक गाय से टकरा गई. यह 5वां मौका है, जब वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का शिकार हुई है. इससे पहले वलसाड जिले के ही अतुल में वंदे भारत ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई थी.
कब कब हुई दुर्घटनाग्रस्त हुई वंदे भारत एक्सप्रेस?
– 8 नवंबर- गुजरात के आणंद में वंदे भारत ट्रेन की चपेट में आने से एक महिला की मौत हो गई थी.
– 29 अक्टूबर को गांधीनगर से मुंबई जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस वलसाड के अतुल में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. ट्रेन के सामने अचानक बैल आने से उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. हालांकि, इस दौरान किसी भी यात्री को कोई चोट नहीं पहुंची थी.
– 06 अक्टूबर को मुंबई से अहमदाबाद जा रही ट्रेन वटवा और मणिनगर स्टेशन के पास पशुओं के झुंड से टकरा गई थी. इस घटना में भी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. चार भैंसों की मौत भी हुई थी.
– 7 अक्टूबर को वडोदरा मंडल के आणंद के समीप वंदे भारत एक्सप्रेस से एक गाय टकरा गई थी. इससे ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था.
क्यों वंदे भारत ट्रेनें होती हैं डैमेज?
रेलवे अधिकारियों ने पिछले दिनों बताया था कि वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि ये टक्कर के बाद भी ट्रेन और उसमें बैठे यात्रियों को नुकसान न पहुंचने दें. ज्यादातर प्रीमियम ट्रेनों में फ्रंट का हिस्सा कोन शेप का रखा जाता है. यह हिस्सा मजबूत फाइबर प्लास्टिक का होता है. इसमें किसी भी तरह की टक्कर होने पर सिर्फ आगे के कोन शेप हिस्से को नुकसान पहुंचता है, गाड़ी के अन्य हिस्से, चेचिस और इंजन को हानि नहीं पहुंचती है.
इस साल 4 हजार ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित
पटरी पर मवेशियों से टकराकर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को नुकसान पहुंचने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. हालांकि, यह समस्या सिर्फ इन ट्रेनों तक ही सीमित नहीं है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मवेशियों की समस्या की वजह से सिर्फ अक्टूबर के पहले 9 दिनों में 200 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है. वहीं, इस साल की बात करें तो 4 हजार से ज्यादा ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित रही हैं.