रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है। पिछले दिनों नेशनल एक्साइज की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि देश के सभी राज्यों में से छत्तीसगढ़ में शराब की खपत सबसे ज्यादा होती है। यहां एक बड़ी आबादी शराब के नशे की गिरफ्त में है। आदिवासी बाहुल्य राज्य होने की वजह से यहां शराब पर सख्त पाबंदी लागू करना मुश्किल हो रहा है, लेकिन शराब की बुराई से समाज पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है। ऐसे में यहां जनजागरूकता ही शराबबंदी के लिए कारगर साबित हो सकती है। ऐसी ही एक मुहिम राज्य में महिलाओं ने शराब के खिलाफ चलाई है। मुंगेली जिले से एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है जिसमें महिलाएं किसी कमाण्डो फोर्स की तरह शराब की भठ्ठियों में सर्जिकल स्ट्राइक करती दिखाई दे रही हैं और वहां से शराबियों को खदेड़ रही हैं।
छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में शराब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने राज्य में शराबबंदी की बात कही थी, लेकिन बाद में सरकार ने शराब की बिक्री से ठेका पद्धती को हटाकर इसकी बिक्री की कमान अपने हाथ में ले ली थी। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। नई सरकार बनने के बाद शराब बिक्री की पुरानी ठेका पद्धती को फिर से लागू कर दिया गया। अब कांग्रेस सरकार का अभिमत है कि राज्य में एक झटके में शराबबंदी नहीं की जा सकती। इसके लिए जनजागरूकता लाना पहले जरूरी है। सरकार की शराबबंदी को लेकर दिख रही नीति के बीच राज्य के कई शहरों और गांवों में महिलाएं टीम बनाकर खड़ी हो गई हैं। ये महिलाएं शाम के वक्त शराब भठ्ठियों में धावा बोलती हैं और वहां से शराबियों को खदेड़ती हैं।
महिला पुलिस कप्तान ने खड़ी की थी मुहिम
राज्य में शराबबंदी की मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन बड़े राजस्व को देखते हुए सरकारें इसे लेकर ठोस नीति नहीं बना पा रही हैं। ऐसे में महिलाओं ने शराब के सामाजिक दुष्परिणाम को दूर करने के लिए मुहिम शुरू की। शराबबंदी के लिए सबसे पहले मुंगेली जिले में तत्कालीन एसपी नीथू कमल ने महिला रक्षा कमाण्डो टीम का गठन किया था। इसके बाद जिले में आईपीएस पारुल माथुर ने एसपी का पद संभाला। स्थानीय महिलाओं को जोड़कर तैयार की गई इस टीम को और मजबूत बनाने के लिए उन्होंने भी सहयोग प्रदान किया। अब इन महिलाओं के लिए शराबियों को शराब भठ्ठी से खदेड़ना रोजना का जरूरी काम बन गया है। यह महिलाएं लाल साड़ी पहने स्वस्फूर्त लाठी-डंडे से लैस होकर शाम के वक्त घर से निकलती हैं और शराब दुकान के आस-पास जमे शराबियों को वहां से खदेड़ती हैं। महिलाओं की इस टीम का खौफ यहां शराबियों के चेहरे पर साफ दिखाई पड़ता है। महिलाओं का कहना है कि सड़क पर शराब दुकान होने की वजह से शाम होते ही यहां शराबियों का मेला लग जाता है। शराबी शराब पीकर यहीं पड़े रहते हैं और गाली-गलौच व झगड़े करते हैं। इससे क्षेत्र का माहौल खराब होता है। शराबी पतियों से भी महिलाएं परेशान हैं और वे चाहती हैं कि समाज से शराब की बुराई पूरी तरह खत्म हो जाए।