छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के तहत प्रदेशभर के 151 निकायों में वोटिंग 21 दिसंबर को हो गई है. चुनाव परिणाम 24 दिसंबर को आने हैं. रिजल्ट से पहले ही रायपुर नगर निगम के महापौर को लेकर पार्टियों ने जोड़तोड़ शुरू कर दी है. सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है. नतीजे क्या होंगे और किसके सिर पर महापौर का ताज सजेगा यह तो 24 दिसंबर को तय हो जाएगा, लेकिन दोनों ही पार्टियों ने अपने बागियों और निर्दलीयों पर नजर रखनी और साधने की कोशिश शुरू कर दी है.
रायपुर नगर पालिक निगम के कई वार्डों में निर्दलीयों ने पेंच फंसा दिया है. इसके विपरीत दोनों ही दलों के महापौर पद के दावेदारों ने उन पार्षद प्रत्याशियों की घेराबंदी शुरू कर दी है, जिनकी जीत की संभावना ज्यादा है, जो निर्दलीय प्रत्याशी मजबूत स्थिति में हैं, उन पर भी नजर रखी जा रही है. बीजेपी से महापौर के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही है. इनमें संजय श्रीवास्तव, राजीव अग्रवाल, प्रफुल्ल विश्वकर्मा, सूर्यकांत राठौर और मीनल चौबे शामिल हैं. बता दें कि नए नियम तहत इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनाव जाना है. पार्षद ही मिलकर महापौर का चुनाव करेंगे.
इसलिए इनकी दावेदारी
बीजेपी के संजय श्रीवास्तव तीन बार के पार्षद होने के साथ ही सभापति रह चुके हैं. आरडीए के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. राजीव अग्रवाल दो बार के जिलाध्यक्ष हैं. संगठन में लगातार सक्रिय रहे हैं. पार्षद के लिए उनकी उम्मीदवारी के साथ ही महापौर के दावेदार के रूप में भी नाम जुड़ गया. प्रफुल्ल विश्वकर्मा ऐसे नेता हैं जो सबसे ज्यादा पार्षद चुने गए हैं. सभापति के रूप में अनुभव होने के साथ ही बीजेपी जब निगम में सत्ता और विपक्ष में थी, उन दोनों ही परिस्थितियों में काम कर चुके हैं. सूर्यकांत राठौर चार बार के पार्षद होने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. मीनल दो बार की पार्षद हैं. महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं. महिलाओं को नेतृत्व देने की स्थिति में उनका पहला नाम है. एक और नाम जो चर्चा में है, वह सुभाष तिवारी का है. वे वरिष्ठ नेता व विधायक बृजमोहन अग्रवाल के करीबी हैं. कई बार के पार्षद होने के अलावा नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं.