खरीफ फसल की मवेशियों से बचाव के लिए उपयोग में आने वाले रोकाछेका की परंपरा गुरुवार से जिले में निभाई जाएगी। इसके लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी गौठानों में इसकी तैयारियाँ की गई हैं। पशुओं को बांधकर रखने अथवा पहटिया, चरवाहों की व्यवस्था इत्यादि का कार्य किया जाता है।जिसमें फसल बुवाई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाली हानि से बचाने के लिए पशुपालक तथा ग्रामीणों ने मुहिम को लेकर प्रशासन ने तैयारी की है। जिले में इसे लेकर अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पौधरोपण शामिल है।छत्तीसगढ़ राज्य में आगामी फसल बुवाई के पूर्व खुले में चराई कर रहें पशुओं को नियंत्रण में रखने हेतु रोका छेका प्रथा प्रचलित है।