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रूसी कंपनियों से सस्ता तेल, उर्वरक खरीदने की तैयारी में भारत, जानिए क्या है योजना और क्या होगा असर?

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रूस एक तरफ यूक्रेन के साथ युद्ध (Russia-Ukraine War) लड़ रहा है. दूसरी तरफ, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने उसके लिए प्रतिबंधों (Economic Sanctions) की शक्ल में आर्थिक-युद्ध (Economic War) छेड़ रखा है. ऐसे में रूस पर इस वक्त दोहरी मार पड़ रही है. इस सब के बीच, सूत्रों की मानें तो, भारत से रूस को कुछ राहत मिल सकती है. बताया जाता है कि भारत सरकार (Indian Govt) किसी ऐसे विकल्प की तलाश में है, जिससे वह कच्चा तेल, उर्वरक, जैसे उत्पाद रूस से खरीद सके और वैश्विक आर्थिक प्रतिबंध भी उसकी राह में आड़े न आएं. हालांकि सरकार के स्तर पर आधिकारिक रूप से अभी इस बारे में कुछ कहा नहीं गया है. पर सूत्रों के हवाले से इस तरह की खबरें बाहर आई हैं. जानते हैं, इससे जुड़े पहलुओं के बारे में.

क्या है योजना भारत की
सूत्र बताते हैं कि रूस की कंपनियां चूंकि इस वक्त वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं, इसलिए उनका कारोबार बुरी तरह से अवरुद्ध हुआ है. ऐसे में वे बेहद कम दामों पर उन देशों को अपने उत्पाद बेचने की पेशकश कर रही हैं, जो रूस से सहानुभूति रखते हैं. रूस के मित्र हैं. या फिर रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) मामले से अब तक तटस्थ हैं. ऐसे देशों में भारत भी शुमार है, जो रूसी कंपनियों की इस पेशकश को अपने लाभ के हिसाब से देख रहा है. क्योंकि उसे कच्चा तेल, उर्वरक जैसे कई उत्पाद जो रूस के पास बहुतायत हैं, सस्ते दामों पर मिल सकते हैं. यहां ध्यान दिलाते चलें कि भारत अभी अपनी जरूरत के कच्चे तेल का 80% अन्य देशों से आयात करता है. इसमें रूस से अब तक 2-3% कच्चा तेल ही आयात होता है. रूस की इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की भारत सरकार की योजना है. सरकार के एक उच्चाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ से कहते हैं, ‘बीते कुछ समय में कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें 40% तक बढ़ी हैं. इससे हमारा तेल-आयात बिल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. देश के भीतर डीजल, पेट्रोल की कीमतें बढ़ने की यह एक बड़ी वजह है. यही हाल उर्वरक आदि का है. वहीं दूसरी तरफ, रूस की कंपनियां इन उत्पादों की कीमतों पर इस वक्त भारी छूट दे रही हैं. उसका लाभ लेकर हम अपना आयात बिल कम कर सकते हैं. जो हमारे लिए आर्थिक रूप से बेहतर ही होगा.’  

रूस एक तरफ यूक्रेन के साथ युद्ध (Russia-Ukraine War) लड़ रहा है. दूसरी तरफ, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने उसके लिए प्रतिबंधों (Economic Sanctions) की शक्ल में आर्थिक-युद्ध (Economic War) छेड़ रखा है. ऐसे में रूस पर इस वक्त दोहरी मार पड़ रही है. इस सब के बीच, सूत्रों की मानें तो, भारत से रूस को कुछ राहत मिल सकती है. बताया जाता है कि भारत सरकार (Indian Govt) किसी ऐसे विकल्प की तलाश में है, जिससे वह कच्चा तेल, उर्वरक, जैसे उत्पाद रूस से खरीद सके और वैश्विक आर्थिक प्रतिबंध भी उसकी राह में आड़े न आएं. हालांकि सरकार के स्तर पर आधिकारिक रूप से अभी इस बारे में कुछ कहा नहीं गया है. पर सूत्रों के हवाले से इस तरह की खबरें बाहर आई हैं. जानते हैं, इससे जुड़े पहलुओं के बारे में.

क्या है योजना भारत की
सूत्र बताते हैं कि रूस की कंपनियां चूंकि इस वक्त वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं, इसलिए उनका कारोबार बुरी तरह से अवरुद्ध हुआ है. ऐसे में वे बेहद कम दामों पर उन देशों को अपने उत्पाद बेचने की पेशकश कर रही हैं, जो रूस से सहानुभूति रखते हैं. रूस के मित्र हैं. या फिर रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) मामले से अब तक तटस्थ हैं. ऐसे देशों में भारत भी शुमार है, जो रूसी कंपनियों की इस पेशकश को अपने लाभ के हिसाब से देख रहा है. क्योंकि उसे कच्चा तेल, उर्वरक जैसे कई उत्पाद जो रूस के पास बहुतायत हैं, सस्ते दामों पर मिल सकते हैं. यहां ध्यान दिलाते चलें कि भारत अभी अपनी जरूरत के कच्चे तेल का 80% अन्य देशों से आयात करता है. इसमें रूस से अब तक 2-3% कच्चा तेल ही आयात होता है. रूस की इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की भारत सरकार की योजना है. सरकार के एक उच्चाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ से कहते हैं, ‘बीते कुछ समय में कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें 40% तक बढ़ी हैं. इससे हमारा तेल-आयात बिल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. देश के भीतर डीजल, पेट्रोल की कीमतें बढ़ने की यह एक बड़ी वजह है. यही हाल उर्वरक आदि का है. वहीं दूसरी तरफ, रूस की कंपनियां इन उत्पादों की कीमतों पर इस वक्त भारी छूट दे रही हैं. उसका लाभ लेकर हम अपना आयात बिल कम कर सकते हैं. जो हमारे लिए आर्थिक रूप से बेहतर ही होगा.’