International Day for the Elimination of Violence against Women: महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत से कानून बनाए गए हैं. आज भी बहुत सारे देशों में उन्हें वो अधिकार नहीं मिले हैं जिससे कहा जाए कि वे एक स्वस्थ समाज में रह रही हैं. फिर भी घरेलू हिंसा एक अलग ही मुद्दा उभर कर सामने आया है. जिससे यह समस्या सामाजिक होने के साथ साथ पारिवारिक मूल्यों, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध रखती है.
International Day for the Elimination of Violence against Women: महिला दिवस जैसे दिनों में महिलाओं (Women) के अधिकारों पर खूब चर्चा की जाती है, लेकिन हैरानी की बात है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए भी एक दिन अलग से मनाया जाता है. दुख की बात होने के साथ ही यह एक बहुत बड़ी जरूरत बनी हुई है. इतना ही नहीं दुनिया में कई देशों में जहां पुरुषों के बराबर महिलाओं को बहुत से अधिकार मिले हुए हैं. महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women) की प्रासंगिकता बनी हुई है. जिसे हर साल 25 नवंबर का दिन इसे मानने के लिए तय किया हुआ है.
घरेलू हिंसा महिलाओं के अधिकारों का बड़ा मुद्दा
महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत से कानून बनाए गए हैं. आज भी बहुत सारे देशों में उन्हें वो अधिकार नहीं मिले हैं जिससे कहा जाए कि वे एक स्वस्थ समाज में रह रही हैं. फिर भी घरेलू हिंसा एक अलग ही मुद्दा उभर कर सामने आया है. जिससे यह समस्या सामाजिक होने के साथ साथ पारिवारिक मूल्यों, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध रखती है.
पाई जा सकती है निजात
इस समस्या से निजात पाना असंभव हो ऐसा बिलकुल नहीं है. ऐसे प्रमाण स्पष्ट रूप से पाए गए हैं कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकना संभव है. इसके लिए व्यापक तौर पर काम करना होगा जिससे ऐसी समस्याओं के मूल कारण से निपटने, हानिकारक रीति रिवाज में बदलाव करने और बची महिलाओं को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में मदद मिल सके.
महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए अब हमर अंगना योजना
महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए अब हमर अंगना योजना की शुरुआत की गई है. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसे छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में शुरू किया गया है. योजना से हिंसा की शिकार महिलाओं को जोड़ने के लिए सर्वे होगा और इसके लिए समिति का गठन किया जाएगा.
हमर अंगना योजना के तहत उन महिलाओं को न्याय दिला रहे हैं जो घरेलू हिंसा या अन्य किसी तरह की हिंसा की शिकार हैं. राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए उन गांव में कैंप लगाया जाता है जहां इस तरह की शिकायत मिल रही है. जिला कोर्ट के जज की उपस्थिति में पीड़ित के घर पहुंचकर अस्थायी अदालत लगाई जाती है. इसमें सुनवाई का प्रविधान रखा जाता है. पीड़ित के अलावा आरोपित पक्ष को भी अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाता है. न्यायाधीश संबंधित थाना प्रभारी व तहसीलदार को मानिटरिंग के निर्देश भी देते हैं.