Demand of rally cosa: एशिया महाद्वीप में सिर्फ बस्तर के साल वनों में प्राकृतिक रूप से जन्म लेने वाला रैली कोसा की डिमांड चांपा, कोरबा और ओड़िसा के अलावा अन्य राज्यों में हैं। रैली कोसा डेढ़ किमी लंबा धागा देता है। इस खासियत के चलते ही पूरी दुनिया में इसकी मांग है।
Demand of rally cosa: एशिया महाद्वीप में सिर्फ बस्तर के साल वनों में प्राकृतिक रूप से जन्म लेने वाला रैली कोसा की डिमांड चांपा, कोरबा और ओड़िसा के अलावा अन्य राज्यों में हैं। रैली कोसा डेढ़ किमी लंबा धागा देता है। इस खासियत के चलते ही पूरी दुनिया में इसकी मांग है। बस्तर जिले में इसका संग्रहण आठ हजार एक सौ ग्रामीण करते हैं। बीते साल इन संग्राहकों ने दो करोड़ 43 लाख नग रैली कोसा एकत्र कर प्रति संग्राहक औसतन 15 हजार रुपए अतिरिक्त लाभ प्राप्त किया था।
कोसा खरीदी के लिए मार्केट ओपन होने के कारण यहां का अधिकांश कोसा जांजगीर, चांपा, भागलपुर और कोटपाड़ के व्यापारी खरीद कर ले जाते हैं। वहीं जिला मुख्यालय स्थित कोसा सेंटर में साड़ियां भी तैयार की जाती हैं। बस्तर का रैली कोसा हजारों को रोजगार दे रहा है। जानकारों का कहना है कि बस्तर के बेरोजगार कोसा वस्त्र बनाने का प्रशिक्षण लेकर काम शुरू करें तो वे बेहतर स्थायी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, चूंकि कोसा वस्त्रों और इससे तैयार दिगर सामानों की मांग लगातार बढ़ रही है। संयुक्त संचालक सुदर्शन विश्वकर्मा ने बताया कि रैली कोसा सिर्फ बस्तर के साल वनों में ही पनपता है।
रेशम उद्योग विभाग प्रति वर्ष वन विभाग की मदद से जिले के साल वनों में 20 से अधिक कोसा प्रगुणन केन्द्र स्थापित कर पेड़ों पर 19 से 20 लाख मादा तितलियां छोड़ता है। यह तितलियां अर्जुनी व साल वृक्षों के खुरदरे तनों में अण्डे देती हैं। इसके चलते प्रतिवर्ष करीब तीन करोड़ रैली कोसा एकत्र किया जाता है। बस्तर का कोसा वस्त्र अपने विशेष रंग और गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में प्रख्यात है। इधर रैली कोसा से धागा निकालने के कार्य में धरमपुरा और कालीपुर की 40 से अधिक महिलाएं भी लगी हैं और प्रति माह लगभग छह हजार रूपये का आय प्राप्त कर रही हैं। जिले में प्रतिवर्ष एक हजार पचास किग्रा कोसा धागा तो निकाला जा रहा है।
तीन साल में कोसा के धागाकरण से आमदनी
वर्ष 2019- 20 6 लाख 11 हजार 715 रुपए
वर्ष 2020- 21 10 लाख 20 हजार 56 रुपए
वर्ष 2021- 22 10 लाख 15 हजार 557 रुपए